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लेखनी कहानी -24-Jan-2022 बेवफा

भाग 5

मीना की जिंदगी अब एकदम से बदल गई थी । गांव की एक सीधी सादी मीना एक मंझी हुई कलाकार बन चुकी थी । बॉलीवुड में अब उसका सिक्का जमा गया था । उसके आगे बाकी समस्त गायिकाएं गौण हो गई थी । रीतेश और मीना की जोड़ी सफलता की गारंटी बन गई थी । यद्यपि वह अन्य संगीतकारों के साथ भी काम करती थी मगर रीतेश के साथ जो तालमेल था वह गजब का था । 

आनंद के लिए अब मीना के पास समय कहां था । आनंद दिन में कई कई बार फोन करता लेकिन मीना उस पर ध्यान ही नहीं देती थी । वह मैसेज भी करता लेकिन उसका जवाब नहीं देती थी । उसने एक नया आई फोन ले लिया और पुराना मोबाइल फेंक दिया । न रहा बांस न बजे बांसुरी । 
अब वह रीतेश के साथ ही रहने लगी थी । आजकल तो बॉलीवुड में सब ऐसे ही रहते हैं । जब तक मन करे , गुलछर्रे उड़ाओ , जब मन भर जाए तो बाहर आ जाओ और फिर किसी और के साथ रहने लग जाओ । इससे अधिक और क्या आधुनिक हो सकता है कोई । आधुनिकता की पराकाष्ठा है ये । 

अब मीना करोड़ों में खेलने लगी । नाम , पैसा सब कुछ तो था उसके पास । मगर कभी कभी उसका दिल खाली खाली सा लगता था । दिल में कहीं न कहीं कुछ चुभता था उसके । क्या था वह जो चुभता था । उसके कुछ समझ में नहीं आता था । काम इतना अधिक हो गया था कि फुर्सत ही नहीं मिलती थी उसे कुछ सोचने की । मगर जब भी वक्त मिलता उसे अकेलापन अच्छा लगता था । रीतेश का प्यार कभी कभी बनावटी सा लगता था । तब उसे आदी की याद आने लगती थी । यह जो चुभन थी क्या ये आदी के साथ विश्वासघात की चुभन थी ? यह सोचते ही मीना सिहर उठती थी। वह क्या थी ? आदी ने उसे कहां पहुंचा दिया था । उसने आदी को क्या दिया ? विश्वासघात , बेवफाई और गम । इसके सिवा उसने उसे कुछ नहीं दिया जबकि आदि ने प्रेम , वफ़ा, समर्पण, प्रतिष्ठा सब कुछ तो दिया था । 

लेकिन अब आदी के बारे में क्या सोचना ? वह एक बीता हुआ कल था । आदी को उसने एक सीढ़ी मात्र समझा और पहली मंजिल पर पहुंच गई । वहां उसने आनंद को खड़े पाया था । उसने आनंद का भी उपयोग किया और वह यहां तक आ पहुंची । क्या रीतेश भी तीसरी सीढ़ी है ? सोचकर मीना थर थर कांपने लगी । कितना और पतन होना बाकी है उसका अभी ? लेकिन अब यह सब सोचने का क्या फायदा ?  

एक दिन उसका मैनेजर कह रहा था कि आजकल रीतेश सर एक नई लड़की "साशा" को गायिका बना रहे हैं । मीना को सुनकर बड़ा आघात लगा । रीतेश अब कई कई रात घर आता ही नहीं था । वह और साशा किसी होटल में ही रात गुजारा करते थे । रात भर मीना अकेली तड़पती रहती थी । अब उसे महसूस होने लगा कि आदी कैसे सोता होगा अकेले ? पता नहीं वह कैसा होगा ? यह सोचकर उसकी आंखों से झर झर आंसू बह निकले । पर क्या ये आंसू उसके पाप धो देंगे ? 

आदी इस गम को सह नहीं सका था । वह एकदम से गुमसुम रहने लगा था । उसकी मां ने उसे बहुत संभाला मगर वह मीना में ही खोया हुआ था । मां उसे अपने घर ले आई । मनोचिकित्सक से उसका इलाज कराने लगी । कहते हैं कि समय सबसे बड़ा डॉक्टर होता है । वह धीरे धीरे सब जख्मों को भर देता है ‌‌दो तीन साल जरूर लगे उसे ठीक होने में मगर वह पूरी तरह ठीक हो गया था। आदी अब फिर से विद्यालय जाने लगा था । 

एक दिन वह विद्यालय में इंटरवेल में अखबार पढ़ रहा था कि अचानक उसकी निगाह सुर्खियों पर पड़ी । "प्रमुख गायिका मीना ने आत्महत्या की" । पढ़कर आदी चौंक गया। फोटो भी छपा था । फोटो मीना का ही था । वह फूट-फूट कर रो पड़ा । चाहे मीना ने उसके साथ कुछ भी किया हो पर उसने तो उसे दिल से प्यार किया था । वो चाहे बेवफा निकली थी मगर उसने तो अंत समय तक वफ़ा ही की थी । लगता था कि उसका गम आंसुओं में बाहर आ रहा था । उसने मीना को माफ कर दिया । प्रेम की पराकाष्ठा यही है । जिसे चाहा उसे भगवान की तरह पूजा । आदी के दिल में आज भी मीना जिंदा है । जिस रास्ते पर मीना चल पड़ी थी उसका अंत यही होना था । पद, पैसा और प्रतिष्ठा के पीछे पागलों की तरह भागने का परिणाम यही होता है । जीवन में सच्चे प्रेम से बड़ी दौलत और कोई नहीं है । काश , यह बात सब लोग जान पाते फिर वे पैसा और प्रतिष्ठा के पीछे ऐसे नहीं भागते और "बेवफा" नहीं कहलाते । 

(समाप्त) 

हरिशंकर गोयल "हरि"
25.4.21 


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2 Comments

Arjun kumar

24-Jan-2022 12:45 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Jan-2022 02:57 PM

धन्यवाद जी

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